नगर के इतिहासकार डॉ विनोद पांडे प्राचार्य शासकीय हाई स्कूल पिपरिया ने सिद्ध बाबा में शिव मंदिर के दर्शन के उपरांत कहीं ऐसा माना जाता है कि इस पहाड़ पर प्राचीन काल में किसी तपस्वी ने साधना किया था इस कारण यह पहाड़ का सिद्ध बाबा पहाड़ के नाम से जाना जाता है भगवान शिव का मंदिर होने के कारण महाशिवरात्रि एवं मकर संक्रांति के दिन अंतरराज्य मेला लगता है कुछ दिनों पूर्व तक यह शिव मंदिर जर्जर अवस्था में था लेकिन स्थानीय नागरिकों, जनप्रतिनिधियों व मंदिर समिति के द्वारा केदारनाथ के तर्ज पर भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है व राष्ट्रीय राजमार्ग से मंदिर तक सुगम मार्ग का निर्माण किया जा रहा है जो सिद्ध बाबा समिति के सदस्यों का सराहनीय प्रयास का नतीजा है रास्ता बन जाने के कारण बच्चे बुजुर्ग भी आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं प्राचीन समय में सिद्ध बाबा धार्मिक के साथ-साथ प्राकृतिक रूप से भी प्रसिद्ध रहा है पहाड़ में प्राचीन समय में दुर्लभ जड़ी बूटियों जैसे चिरायता, पत्थर चट्टी, चिरचिटा , मजकरैया, ग्वारपाड़ा आदि प्राप्त होता था जो शरीर को निरोगी रखने में उपयोगी था विलुप्त होती दुर्लभ जड़ी बूटियों के संरक्षण हेतु हर्बल गार्डन का निर्माण किया जा सकता है वही इस पहाड़ के नीचे उच्च किस्म का कोयला मिलता था (सन 1928)और इस संपूर्ण क्षेत्र को कारीमाटी (झगड़ाखांड) के नाम से जाना जाता था इसी कारण यहां रेलवे लाइन( सन 1930) का विस्तार हुआ कोयला खदान से रियासत को 4% रॉयल्टी मिलती थी कालांतर में इस क्षेत्र में आग लगने की घटना हुई और तत्कालीन रूलर चीफ द्वारा रेलवे स्टेशन के निकट मनेंद्रगढ़ नगर बसाया गया कोयला खदान और रेलवे लाइन के निर्माण के पश्चात इस नगर का विकास प्रारंभ हुआ इसलिए इस प्राचीन मंदिर को ग्राम देवता के रूप में भी स्थानीय लोगों द्वारा माना जाता है
डॉ पांडे ने बताया कि भव्य मंदिर का निर्माण के पश्चात यह क्षेत्र एमसीबी जिला ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश की सीमा से लगे होने के कारण वहां के पर्यटकों स्थानीय नागरिकों और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनेगा

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