राकेश मेघानी की कलम से

मनेन्द्रगढ़ – छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा छेरछेरा कार्यक्रम में  सरगुजा विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष और भरतपुर विधायक गुलाब कमरों  डोमनापारा पहुँचे।विधायक कमरों ने गांव वालो के साथ छेरछेरा को परंपरा गत  रूप में मनाते हुए घर घर जाकर धान एवं नकद राशि दान में प्राप्त किया ।   

छेरछेरा के  पर्व पर भरतपुर विधायक गुलाब कमरों  ग्राम डोमनापारा पहुचे जहाँ ग्रामीणों के साथ घर घर जाकर छेरछेरा मांगने का रस्म निभाया और छेरछेरा की बधाई देते हुए बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया और क्षेत्र की सुख समृद्धि की कामना की।

छत्तीसगढ़ में  छेरछेरा पर्व पौष पूर्णिमा के दिन बड़े ही धूमधाम और हर्ष – उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे छेरछेरा पुन्नी या छेरछेरा तिहार  भी कहते हैं। इसे दान लेने-देने पर्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन दान करने से घरों में धन धान्य की कोई कमी नहीं रहती। इस दिन छत्तीसगढ़ में बच्चे और बड़े, सभी घर-घर जाकर अन्न का दान ग्रहण करते हैं। युवा डंडा नृत्य करते हैं।  छत्तीसगढ़ का लोक जीवन प्राचीन काल से ही दान परम्परा का पोषक रहा है। कृषि यहाँ का जीवनाधार है और धान मुख्य फसल। किसान धान की बोनी से लेकर कटाई और मिंजाई के बाद कोठी में रखने तक दान परम्परा का निर्वाह करता है। छेर छेरा के दिन शाकंभरी देवी की जयंती मनाई जाती है। ऐसी लोक मान्यता है कि प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ में चारो तरफ घोर अकाल पड़ने से हाकाकार मच गया। लोग भूख और प्यास से अकाल मौत के मुँह में समाने लगे।  तब गांव के लोगो पूजा-प्रार्थना की जिससे प्रसन्न होकर अन्न, फूल-फल व औषधि की देवी शाकंभरी प्रकट हुई और अकाल को समाप्त कर  दिया। सभी जगह खुशी का माहौल बन गया। छेरछेरा पुन्नी के दिन इन्हीं शाकंभरी देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ लोक मान्यता यह भी है कि भगवान शंकर ने इसी दिन नट का रूप धारण कर पार्वती (अन्नपूर्णा) से अन्नदान प्राप्त किया था। छेरछेरा पर्व इतिहास दर्शाता है।

छेरछेरा मनाने विधायक गुलाब कमरों डोमना प्रारा ग्राम पहुंचे जहां छेरछेरा मांगने जब घर घर जा रहे थे इस दौरान एक छोटी बच्ची प्रियंका ने विधायक गुलाब कमरों के साथ सेल्फी लेने की बात की जिस पर विधायक गुलाब कमरों ने बड़े स्नेह के साथ छोटी बच्ची प्रियंका के साथ सेल्फी ली जिससे छोटी सी बच्ची खुश हो गई इस तरह विधायक गुलाब कमरों ग्रामीण क्षेत्रों में गांव वालों के साथ इस घुल मिल जाते हैं जैसे आम नागरिक ,विधायक ग्रामीणों के साथ ऐसे मिलेते है जिससे उन्हें अपने पन का एहसास होता है इसी तरह विधायक ने ग्रामीण क्षेत्रो में अपनी एक अलग पहचान बनाई है

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