बच्चों को थ्री डी इफेक्ट(त्रि आयामी चित्र)के माध्यम से पढ़ा रही हैं.

प्रदेश में विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित शिक्षक

मोबाइल से आग्यूमेंटेशन रियलिटी जैसी एप से बच्चों को पढ़ा रही है

बच्चों को बेहतर और सरल तरीकों से शिक्षा देने का प्रयास कर रही हैं

मनेन्द्रगढ़/शिक्षा के क्षेत्र में केवल उन्हीं लोगों को आना चाहिए जो सचमुच शिक्षक ही बनना चाहते हैं खासतौर से प्राथमिक,माध्यमिक विद्यालयों में क्योंकि प्राथमिक,माध्यमिक विद्यालय ही पूरे जीवन की शिक्षा का आधार हैं यह नींव कमजोर होने पर बहुत कम छात्र ही आगे बढ़ पाते हैं
ऐसे विचार रखने वाली दूरस्थ आदिवासी बहुल क्षेत्र के वनप्रांतर के प्राथमिक विद्यालय में छात्रों को शिक्षित करने के लिए हमेशा नवाचार करनेवाली विधात्री सिंह इन दिनों अपनी कक्षाओं में बच्चों को थ्री डी इफेक्ट(त्रि आयामी चित्र)के माध्यम से पढ़ा रही हैं. इस बारे में उनका कहना है कि इससे बच्चों के सामने पढ़ाए जाने वाली विषय वस्तु का चित्र सामने आ जाता है जिससे बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं और फिर उस बात को कभी नहीं भूलते.
विधात्री सिंह का कहना है कि इस तकनीक से पूरे प्रदेश में केवल कुछ गिनेचुने लोग ही पढ़ा रहे हैं.
ध्यातव्य है कि शिक्षा के क्षेत्र में जिले से लेकर प्रदेश में विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित विधात्री सिंह ने कोरोनाकाल में बच्चों की माताओं को आलू, प्याज, टमाटर, चकला, बेलन आदि घरेलू वस्तुओं से बच्चों को गिनती,पहाड़,भाषा आदि सिखाने की तकनीक सिखाई थी जो बहुत कारगर साबित हुई इन दिनों वे मोबाइल से आग्यूमेंटेशन रियलिटी जैसी किसी एप से बच्चों को पढ़ा रही हैं जिसे वे जल्दी ही अपने संकुल के शिक्षकों को सिखाएंगी
देवगढ़ संकुल के संकुल शैक्षिक समन्वयक (सीएसी)रावेन्द्र कुशवाहा का कहना है कि इस तकनीक से बच्चे बहुत जल्दी सीख रहे हैं


विधात्री सिंह…शिक्षक माता पिता की पुत्री विधात्री वर्ष 2013 से शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं और कम समय में अपने कार्यक्षेत्र में नए नए प्रयोग किए हैं और बच्चों को बेहतर और सरल तरीकों से शिक्षा देने का प्रयास कर रही हैं इसी कारण उन्हें विकासखंड से जिले के विभिन्न मंचों पर सम्मानित किया गया है.

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