मवेशियों में होने वाले लम्पी स्कीन रोग से बचाव हेतु जिलास्तरीय समिति तथा कण्ट्रोल रूम गठित’


’जिले में नहीं इस रोग का प्रभाव, एहतियात के लिए कंट्रोल रूम और नंबर तैयार’*

लंपी स्किन डिजीज से कई राज्यों में मवेशियों की मौत की खबर समाने आ रही है. कुछ राज्यों में सैकड़ों की संख्या में मवेशियों की मृत्यु हो चुकी है.

राकेश मेघानी की कलम से (कोरिया) (मनेन्द्रगढ़)

*कोरिया* राज्य शासन द्वारा लम्पी स्कीन रोग के सम्बंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक ने बताया कि जिले के किसी भी ग्राम पंचायत अथवा शहरी क्षेत्र में पशुओं में बीमारी के फैलने तथा ग्रसित होने की सूचना प्राप्त नहीं हुई है। देश में इसके प्रसार को देखते हुए जिले में भी जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इसके साथ ही रोग से बचाव एवं प्रतिकूल प्रभाव की रोकथाम हेतु जिलास्तरीय कण्ट्रोल रूम का गठन किया गया है जिसका दूरभाष क्रमांक 07836-232469 है। उन्होंने बताया अंतरराज्यीय नाकों चांटी एवं घुटरीटोला में भी ड्यूटी लगाकर नजर रखी जा रही है।

’ *क्या है लम्पी स्किन रोग-’*

लम्पी स्कीन रोग विषाणुजनित संक्रमित रोग है, जो रोगी पशु से स्वस्थ पशु में छूने एवं मच्छर व मक्खियों के माध्यम से फैलता है। इस रोग में बुखार के साथ पूरे शरीर पर छोटी-छोटी गुटली बन जाती है, जो बाद में घाव में तब्दील हो जाती है। लम्पी स्कीन रोग संक्रमण से दूधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता, भार वाहक पशुओं की कार्य क्षमता एवं कम उम्र के पशुओं के शारीरिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

भारत में कोरोना और मंकी पॉक्स के बाद एक रोग जो मवेशियों में तेजी से फैल रहा है. इस रोग का नाम लंपी स्किन डिजीज बताया जा रहा है. जिसके मामले लगातार बढ़  रहे हैं. वहीं कई राज्यों में इस रोग से मवेशियों की मौत की भी खबर समाने आ रही है.

*लंपी स्किन डिजीज के बारे में*…. 

जानकारी के अनुसार ये रोग एक वायरस के चलते मवेशियों में फैल रहा है. जिसे ‘गांठदार त्वचा रोग वायरस’ (LSDV) कहा जाता है. इसकी तीन प्रजातियां हैं. जिसमें पहली प्रजाति ‘कैप्रिपॉक्स वायरस’ (Capripoxvirus) है. इसके अन्य गोटपॉक्स वायरस (Goatpox Virus) और शीपपॉक्स वायरस (Sheeppox Virus) हैं.

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